पीलिया

30-Sep-2020

पीलिया

आंखें एवं त्वचा का पीलापन (पीलिया) बीमारी का अशुभ संकेत देता हैं। पीलिया के साथ अक्सर निम्नलिखित आसार भी दिखाई देते है :

  • भूख नहीं लगना (एनोरेक्सिया) 
  • पूरे शरीर में खुजली होना (प्रुरिटस)
  • गहरे पीले रंग का मूत्र होना
  • सफेद मिट्टी के रंग का मल

शब्द “पीलिया” की व्युत्पत्ति:

पीलिया शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द “जउन” से हुई है, जिसका अर्थ है पीला। डाक्टरी भाषा में पीलिया के लिए तकनीकी शब्द “इक्टेरस ” है। यह ग्रीक शब्द “इकटेरोस” के रूपान्तर से आता है। इक्टेरिआ (येलो-ब्रेस्टेड चाट) एक गानेवाला पक्षी है। प्राचीन दिनों में यह माना जाता था कि इस पक्षी की दृष्टि से पीलिया ठीक हो जाएगा। इसके अलावा इक्टेरिआ के स्तन का पीला रंग पीलिया में आंखों के पीलेपन के समान है।

पीलिया कैसे होता है:

हमारे रक्त में “आर बी सी” (RBC) नामक कई छोटी-छोटी चिपटी गोल आकार की कोशिकाएँ होती हैं। उनका मुख्य कार्य ऑक्सीजन परिवहन करना है।  जीवन काल पूरा होने पर, शरीर इन कोशिकाओंको नष्ट करता हैं।  नष्ट करने की प्रक्रिया से बना कचरा पीले रंग के रसायन “बिलिरुबिन”  क़े माघ्यम से शरीर से हटायां जाता है। बिलीरुबिन और उस्से उत्पन्न रसायन मूत्र के पीले रंग और मल के भूरे रंग के लिए जिम्मेदार हैं। जिगर (लीवर) रक्त से बिलीरुबिन को सोख लेता है और इसे आगे संसाधित करता है। पित्त इसे आंत में ले जाता है जहां से इसे शरीर से बाहर निकाला जाता है।

ऊपर उल्लिखित किसी भी प्रक्रिया में गड़बड़ी होनें से बिलीरुबिन और उससे उत्पन्न रसायन असामान्य तौर पर शरीर में जमा होते है। ये त्वचा, आंखों का  सफेद हिस्सा और अन्य क्षेत्रों में जमा हो जाते है। इससे आँखोँ एवं त्वचा पर पीलापन (पीलिया) होता है।

पीलिया बीमारी का एक लक्षण है, स्वयं बीमारी नहीं ।   

पीलिया के निम्नलिखित सामान्य कारण हैं:

  • बिलीरुबिन का बढ़ता उत्पादन (आरबीसी के नष्ट होने में वृद्धि):

कुछ वंशानुगत रोगों में, उत्पादित आरबीसी असामान्य और नाजुक होते हैं। शरीर में ये असामान्य आरबीसी तेजी से नष्ट होते है (हैमोलिटिक एनीमिया)। कई टॉक्सिन, बीमारियाँ अवं चुनिंदा औषधियों के काऱण भी आरबीसी तेजी से नष्ट हो सकते है।

  • जिगर (लीवर) की खराबी :

रक्त से बिलीरुबिन को सोखना, उसे संसाधित करना, पित्त के माध्यम से आंत के रास्ते शरीर से बाहर निकालना, ये सारी क्षमताएं लीवर के खराब होने से सीमित हो जाती है।  अधिक शराब का सेवन यकृत की क्षति का एक आम कारण है। लंबे समय तक शराब के सेवन से अपरिवर्तनीय परिवर्तन होते हैं और लिवर सिरोसिस होता है। वायरल हेपाटाइटिस (विशेष रूप से हेपाटाइटिस बी और सी) भी पीलिया और यकृत सिरोसिस का एक आम कारण है।

  • पित्त के प्रवाह में बाधा:

पित्त नलिकाओं में पथरी या सिकुड़न के कारण रुकावट हो सकती है। पत्थरी का इलाज अपेक्षाकृत  सरल है। सिकुड़न का कारण अक्सर कैंसर होता है। कैंसर का इलाज जटिल और कठीण होता है।  

पीलिया के कारण विविध हैं। पीलिया के इलाज में विभिन्न विशिष्टताओं के डॉक्टर शामिल होकर, एक व्यापक व्यक्तिगत उपचार योजना बनाई जाती है।  

एक चिकित्सक के रूप में हम अपने रोगियों के प्रति सही न्याय तब ही कर पाते है जब रोग का निदान प्रारंभिक अवस्था में हो। जब भी पीलिया का संदेह हो, जल्द से जल्द स्वास्थ्य जांच करवाना फायदेमंद होता हैं।

धन्यवाद

डॉ हेमंत जैन

MS (जनरल सर्जरी) MCh (जीआई सर्जरी)
लेप्रोस्कोपिक अवं जीआई सर्जन.
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी अवं जीआई कैंसर सर्जरी के विशेषज्ञ
विजिटिंग कन्सल्टन्ट :
नानावती अस्पताल (विलेपार्ले), क्रिटिकेयर अस्पताल (अंधेरी), उपासनी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, मुलुंड (पश्चिम)
ओपीडी :
स्टार हेल्थकेयर, अंधेरी (पश्चिम) रोज 5 से 6 बजे   

उपासनी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, मुलुंड (W)